ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने आयुर्वेदिक मेडिसिन बनाने वाली कंपनी एमजी कैप्शूल को सेक्टर ईकोटेक वन एक्सटेंशन वन में आवंटित प्लॉट (संख्या-08) का आवंटन निरस्त कर दिया है। कंपनी पर प्लॉट आवंटन के प्रीमियम और लीज डीड विलंब शुल्क के रूप में करीब 13 करोड़ रुपये बाकाया था। प्राधिकरण की तरफ से कई बार नोटिस जारी करने के बावजूद कंपनी कोई रेस्पोंस नहीं दे रही थी, जिसके चलते प्राधिकरण ने यह कार्रवाई की है।दरअसल, आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी एमजी कैप्शूल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने ग्रेटर नोएडा में प्लॉट के लिए आवेदन किया था। प्राधिकरण ने कंपनी को जनवरी 2019 में सेक्टर ईकोटेक वन एक्सटेंशन वन में (प्लॉट संख्या -08) 30807 वर्ग मीटर जमीन आवंटित कर दी। प्राधिकरण ने कंपनी को लीजडीड कराने के लिए चेकलिस्ट भी जारी कर दी। उसके बाद कंपनी की तरफ से समय पर प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया, जिस पर प्राधिकरण ने नोटिस जारी किया। इसके बावजूद कंपनी ने भुगतान नहीं किया। प्राधिकरण ने दोबारा नोटिस जारी कर बकाया भुगतान को जमा करने के लिए 15 दिन का समय और दिया । कंपनी ने सिर्फ 1.50 करोड़ रुपये जमा कराते हुए अवशेष धनराशि दो से तीन माह में जमा करने का समय मांगा, जिस पर प्राधिकरण ने बकाया प्रीमियम धनराशि को तीन किस्तों में भुगतान की अनुमति दे दी, लेकिन कंपनी पहली ही किस्त का पूरा भुगतान नहीं कर सकी। प्राधिकरण ने एक बार फिर कंपनी को पहली किस्त को जमा करने के लिए एक सप्ताह का समय दे दिया। इसके बाद भी कंपनी ने बकाया भुगतान नहीं किया, जिसके चलते 15 अप्रैल तक कंपनी पर प्रीमियम की धनराशि 11.30 करोड़ और लीज डीड विलंब शुल्क के रूप में 1.69 करोड़ रुपये बकाया हो गया, जिसके चलते प्राधिकरण ने आवंटन निरस्त कर दिया। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ दीप चंद्र ने बताया कि कई बार अवसर देने के बावजूद बकाया धनराशि जमा न करने पर प्राधिकरण ने कंपनी का आवंटन निरस्त कर दिया गया है।ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से जमीन प्राप्त करने के बाद तय समय में प्रीमियम न जमा करने या फिर उद्योग न लगाने पर इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी। उद्योगों के लगने से निवेश बढ़ता है और यहां के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलते हैं। ऐसे में प्लॉट लेकर बैठे रहने का अवसर किसी को नहीं दिया जाएगा। ऐसे भूखंडों का आवंटन निरस्त कर उद्योग लगाने वाले किसी उद्यमी को स्कीम के जरिए ये आवंटित किया जाएंगे। सभी विभागों (औद्योगिक, संस्थागत, वाणिज्यिक, आईटी, आवासीय आदि) को ऐसे भूखंडों को चिंहित कर आवंटन निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।’
सुरेन्द्र सिंह, सीईओ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व मेरठ मंडल कमिश्नर
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