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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के आईपीआर सेल द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों पर राष्ट्रीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के आईपीआर सेल द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों पर राष्ट्रीय जागरूकता कार्यक्रम 21 फ़रवरी 2025 को सम्पन्न हुआ। आईपीआर सेल की नोडल अधिकारी डॉ. शक्ति शाही ने अपने स्वागत भाषण में सभी सम्माननीय अतिथियों का स्वागत करते हुए आज की वैश्वीकृत दुनिया में बौद्धिक संपदा अधिकारों को समझने और उनकी रक्षा करने के महत्व पर जोर दिया। प्रोफेसर एन.पी. मेलकानिया, शैक्षणिक अधिष्ठाता, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने उद्घाटन भाषण दिया, जिसमें उन्होंने आईपीआर के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला । विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने भी सभा को संबोधित किया और आईपीआर सेल की प्रभावशाली सक्रियता के लिए प्रोत्साहन दिया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. जी.आर. राघवेंद्र, भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के डीपीआईआईटी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आईपी: भारत में पेटेंट, कॉपीराइट और स्वामित्व विषय पर प्रकाश डाला, जो इस उभरते क्षेत्र और बौद्धिक संपदा अधिकारों के साथ इसके संबंधों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जिससे आईपी अधिकारों की सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा हुई ।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की प्रसिद्ध वैज्ञानिक (टी आइ एफ ए सी), डॉ. संगीता नागर ने अपने बीज वक्तव्य में विश्व में पेटेंट दाखिल करने के परिदृश्य के बारे में जानकारी दी तथा उन्होंने बताया कि बौद्धिक पेटेंट भी एक संपत्ति है और इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि फीस में कटौती के बाद शैक्षणिक संस्थानों द्वारा पेटेंट दाखिल करने में वृद्धि हुई है।2023-24 में भारत द्वारा लगभग 1 लाख भुगतान आवेदन दाखिल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि बौद्धिक संपदा अधिकार अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करता है ,फंडिंग और साझेदारी को आकर्षित करता है तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यावसायीकरण में भी सहायक सिद्ध होता है।उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार और रचनात्मकता को संरक्षित और बढ़ावा देने में आईपीआर के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
आईपीआर मुद्दों और जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों में चुनौतियों पर दिल्ली विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी ऑफ लॉ के सदस्य डॉ. अमरेंद्र कुमार अजित द्वारा चर्चा की गई जिसमें उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों में आईपीआर मुद्दे और चुनौतियाँ
,क्या पेटेंट कराया जा सकता है और जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों के संबंध में भारतीय पेटेंट अधिनियम के तहत क्या अपवाद हैं , जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों में एआई का उपयोग, न्यूटालिंक परियोजना, नैनो-रोबोटिक सर्जरी और चिकित्सा ,सिंथेटिक डीएनए का नया प्रयोग, शरीर के अंगों की एआई और 3डी प्रिंटिंग विषय पर जानकारी दी।
इसके उपरांत बौद्धिक संपदा संरक्षण की जटिलता को सुलझाने पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अपीलीएट बोर्ड के पूर्व प्रभारी अध्यक्ष डॉ. बीपी सिंह और सुश्री निशी शबाना,ल्यूम लीगल, गुड़गांव की संस्थापक की अंतर्दृष्टि शामिल थी।इस चर्चा में तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य में बौद्धिक संपदा की रक्षा के लिए आवश्यक चुनौतियों, अवसरों और अनुकूलन पर प्रकाश डाला गया । इस कार्यक्रम के संयोजक तथा गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के विधि संकाय के विभाग्याध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार तिवारी द्वारा कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों के बीच आईपीआर के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उन्हें आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में अपनी बौद्धिक संपदा की रक्षा के लिए आवश्यक ज्ञान से लैस करना था । उन्होंने सभी के मूल्यवान समय ,आदरणीय वक्ताओं के ज्ञान वर्धक वक्तव्य और इस कार्यक्रम को सम्पन्न कराने के लिए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, कुलसचिव डॉ विश्वास कुमार त्रिपाठी, शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रोफ़ेसर एन पी मेलकनीया, संकायाध्यक्ष डॉ. के. के. द्विवेदी के मार्गदर्शन तथा आयोजक सचिव डॉ शक्ति शाहीऔर सेल के अन्य सदस्य डॉ विक्रांत नैन, डॉ तन्वी वत्स के सहयोग तथा विभिन्न विभागों के शिक्षक डॉ पूनम वर्मा, डॉ. प्रकाश चंद्र दिलारे ,डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ विक्रम करुणा, डॉ. अनिता यादव, डॉ. अखिलेश, डॉ सी. बी भरास, डॉ भास्वती बनर्जी, डॉ आशा पांडेय, डॉ नितिन सोनकर , श्री सागर, श्री हबीब, सुश्री प्रिया, सुश्री यामिनी के सहभागिता के लिए आभार प्रकट किया।
इस कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति तथा सह संरक्षक कुलसचिव, डॉ. विश्वास त्रिपाठी तथा प्रोफेसर एन.पी. मेलकानिया, शैक्षणिक अधिष्ठाता रहे। तथा कार्यक्रम के संयोजक विधि संकाय के विभाग्याध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार तिवारी रहे। कार्यक्रम की आयोजक सचिव डॉ शक्ति शाही और आयोजक गण में डॉ विक्रांत नैन, डॉ विनय लिटोरिया और डॉ तन्वी वत्स शामिल रहे ।कार्यक्रम को सफल और सुचारू बनाने में छात्र ,इपशिता,पलक ,प्रणव, शौर्य, अभिराज, अदिति का विशेष योगदान रहा।

यह कार्यक्रम सभी प्रतिभागियों के लिए सीखने का एक शानदार अनुभव था और शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार और रचनात्मकता की संस्कृति को बढ़ावा देने में लाभकारी सिद्ध हुआ ।

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