
ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज और भारतीय संस्कृति वैश्विक केंद्र (बीएसवीके) गुरुवार से विज्ञान, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। सम्मेलन के मुख्य अतिथि गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री, डॉ इंद्रेश कुमार,वरिष्ठ सदस्य, प्रचारक एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), दीपक सिंघल पूर्व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, , अभिजीत हलदर,महानिदेशक अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, संस्कृति मंत्रालय, डॉ जगवीर सिंह,चांसलर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब, प्रोफेसर अजय याज्ञनिक का विश्वविद्यालय के चांसलर पीके गुप्ता,प्रो चांसलर वाईके गुप्ता और वाइस चांसलर डॉ सिबाराम खारा ने शॉल ओढ़ाकर और मोमेंटो देकर स्वागत किया। इस दौरान किताब का विमोचन भी किया गया।
सम्मेलन में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि विज्ञान, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य ये महत्वपूर्ण तीन विषय मानव जीवन के विभिन्न तीन पक्षो में साथ जुडे है। वर्तमान परिपेक्ष में जहां विज्ञान की प्रगति के अनेक पायदान तय करने बावजूद भी,मानव जीवन के संकट व कष्टों को समाप्त करने की दिशा में अनेक अनुसंधान और खोज होने बावजूद भी जो संतुष्टि की खोज में मानव आगे विज्ञान के सहारे आगे बढ़ा था। अपने जीवन को सुगम बनाने के लिए,जीवन को कष्टों और भौतिक ताप को दूर करने दृष्टिकोण से पिछले 3 सौ साल की इस वैज्ञानिक खोज की यात्रा में जो भी मानव ने प्राप्त किया उसके बावजूद भी असंतुष्टि का स्तर बढ़ता जा रहा है। उस कड़ी के बीच में जहां जुड़ाव हो सकता है यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है। यह क्या है यह प्रश्न मन में जिस दिन कोंदता है वहां से विज्ञान का प्रारंभ होता है। मैं क्या हूं यह प्रश्न में आता यहां अध्यात्म की यात्रा प्रारंभ होती है। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने विश्वविद्यालय के चांसलर और प्रो चांसलर का धन्यवाद दिया और कहा कि मुझे इस कार्यक्रम में बुलाने पर हमेशा आभारी रहूंगा।
विश्वविद्यालय के चांसलर पीके गुप्ता ने कहा कि यह एक परिवर्तनकारी शैक्षणिक कार्यक्रम है जो विज्ञान, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य के शक्तिशाली अंतर्संबंधों का पता लगाने के लिए दुनिया भर के विद्वानों, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और आध्यात्मिक नेताओं को एक साथ लाने का प्रयास कर रहा है। इस तरह के कार्यक्रम से छात्रों को लाभ होगा और भविष्य में इस तरह के आयोजन करने पर विश्वविद्यालय की तरफ जोर दिया जाएगा।
कार्यक्रम में डॉ इंद्रेश कुमार,वरिष्ठ सदस्य, प्रचारक एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि भारत की आध्यात्मिकता सर्वोत्तम है। कोविड के दौरान जब दुनिया संकट का सामना कर रही थी, भारत काढ़ा लेकर आया जिससे बड़े पैमाने पर मदद मिली। उस समय हर देश में काढ़े का सेवन किया जाता था जो लाभदायक भी था और सफल भी। भारत ने कोविड के दौरान न केवल शारीरिक बल्कि लोगों को मानसिक रूप से ठीक करके उनका समाधान खोजा। हम गरीब लोगों की मदद करके और भूखे लोगों को भोजन वितरित करके एक-दूसरे के लिए खड़े हुए। देशों के टीकों की तुलना में भारत की वैक्सीन की कीमत तुलनात्मक रूप से कम थी। इससे पता चलता है कि भारत की आध्यात्मिकता दुनिया को बचाती है। भारत चाहे तो ऊंची कीमत पर भी वैक्सीन बेच सकता है लेकिन हमने मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध कराने का विकल्प चुना। ये हमारे भारत की आध्यात्मिक शक्ति है। हमारे देश की नैतिकता और आध्यात्मिकता हमारी प्राथमिकता है। विज्ञान और अध्यात्म दो अलग-अलग चीजें हैं जिनके अपने-अपने अर्थ हैं। एक अच्छा समाज विज्ञान और अध्यात्म का मेल है, दोनों की अपनी-अपनी प्रासंगिकता है।
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