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पीकेएल सीज़न 12 की नीलामी में चमके युवा कबड्डी सीरीज़ के सितारे,पीकेएल 12 की नीलामी में युवा कबड्डी सीरीज के खिलाड़ियों का बोलबाला।

एनसीआर लाइव : दिल्ली, 7 जून 2025:
युवा कबड्डी सीरीज़ (वाईकेएस) भारत के कबड्डी सितारों की प्रमुख नर्सरी बन चुकी है। हाल ही में संपन्न प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) सीज़न 12 की नीलामी इस बात का जीता जागता उदाहरण है। नीलामी में बिकने वाले कुल भारतीय खिलाड़ियों में से लगभग 43.5% यानी 101 में से 44 खिलाड़ी युवा कबड्डी सीरीज़ के पूर्व प्रतिभागी रहे हैं।यह इस बात को भी दर्शाता है कि युवा कबड्डी का मंच अब प्रो कबड्डी लीग के लिए सबसे भरोसेमंद स्काउटिंग और टैलेंट डिवेलपमेंट प्रणाली बन चुका है।फिलहाल जिस तरह से वाईकेएस के खिलाड़ियों ने कबड्डी में दबदबा बनाया हुआ है, वह सिद्ध करता है कि जड़ों से शिखर तक की यात्रा न केवल संभव है, बल्कि फल-फूल भी रही है।
वाईकेएस के इस सफर में ऐतिहासिक मोड़ तब आया, जब इसके तीन खिलाड़ियों ने “करोड़पति क्लब” में जगह बनाई।सीज़न 9 में 7 खिलाड़ी, सीज़न 10 में 19, सीज़न 11 में 30 और अब सीज़न 12 में 45 खिलाड़ी यह ग्राफ़ निरंतर ऊपर ही गया है।इस सूची में सबसे ऊपर रहे आशु मलिक, जिन्हें दबंग दिल्ली ने रिकॉर्ड 1.90 करोड़ रुपए में रिटेन किया। योगेश दहिया को बेंगलुरु बुल्स ने 1.125 रुपए करोड़ में खरीदा, जबकि नितिन धनखड़ को जयपुर पिंक पैंथर्स ने ₹1.002 करोड़ में अपनी टीम का हिस्सा बनाया। इसके अलावा
कुछ प्रमुख नामों में अनिल मोहन (78 लाख, युवा मुंबा), संजय ढुल (60 लाख, बेंगलुरु बुल्स) और आकाश शिंदे (53.10 लाख, बेंगलुरु बुल्स) आदि भी युवा कबड्डी के ही सितारे हैं।
इसके अलावा वाईकेएस की कहानी अब केवल हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे पारंपरिक गढ़ों तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि छत्तीसगढ़ के उदय पार्टे ने ₹50.10 लाख की बोली के साथ जयपुर पिंक पैंथर्स से करार कर नया कबड्डी बेल्ट उभरने का भी संकेत दिया है। इसी तरह, पंजाब के धीरेज को बेंगलुरु बुल्स ने ₹40.20 लाख में खरीदा, जिससे राज्य में कबड्डी की वापसी की उम्मीदें एक बार फिर जग गई हैं। वहीं बिहार के संदीप कुमार, जिन्हें युवा मुंबा ने ₹49 लाख में खरीदा, एक ऐसा नाम बने जो उस क्षेत्र से आया है जहाँ से पीकेएल में खिलाड़ियों का आना अब तक दुर्लभ रहा है।
युवा कबड्डी सीरीज़ के जरिए कड़े मुकाबलों और लगातार मैच अनुभव ने पीकेएल के लिए एक वैकल्पिक रास्ता तैयार कर दिया है। खिलाड़ी राष्ट्रीय मंच पर नौसिखिए नहीं, बल्कि अनुभवी योद्धा बनकर पहुंचते हैं। उनमें स्किल, मानसिक मजबूती और शारीरिक तैयारी पहले से ही मौजूद होती है और इस साल की नीलामी के आंकड़े बता रहे हैं कि फ्रेंचाइज़ी अब इसे गंभीरता से ले रही हैं।

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