फर्रुखाबाद, संवाददाता।
एक दो माह के मासूम को बड़ी मुश्किल से लोहिया अस्पताल में इलाज मिला। दंपति तीन घंटे तक पीकू वार्ड से इमरजेंसी तक दौड़ते रहे। डॉक्टर ने फोन से इलाज बताया तब जाकर पीकू वार्ड में बच्चा भर्ती हुआ।
नौलक्खा मोहल्ला निवासी शाकिर की दो माह की पुत्री आयात को घर में दस्त होने लगे। ऐसे में वह घबराकर अपनी पत्नी रुखसार के साथ बच्ची को इलाज के लिए सुबह दस बजे लोहिया अस्पताल में लेकर पहुंचे। सबसे पहले ओपीडी में गये। यहां बता दिया गया कि इमरजेंसी में जाएं तो वह इमरजेंसी में पहुंचे। यहां स्वास्थ्य कर्मचारियों ने जानकारी दी कि पीकू वार्ड में बच्चे को इलाज मिलेगा। जब परिजन पहुंचे तो वहां भी किसी ने नहीं सुना। एनआरसी वार्ड के लिए भेज दिया गया। इस तरह से सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक दंपति बच्ची के इलाज के लिए अस्पताल में इधर से उधर भटकते रहे। इस बीच एक कर्मचारी ने जानकारी की तो वह बीमार बच्चे को लेकर इमरजेंसी में पहुंचा और डॉक्टर को पूरी जानकारी दी। बच्ची का इलाज शुरू हुआ और फिर उसे पीकू वार्ड में भर्ती कर लिया गया। इस तरह से बच्चे का इलाज कराने के लिए मां बाप खासे परेशान हुये। दंपति का कहना है कि यदि उन्हें समय से इलाज मिलता तो जो दिक्कत उन्होंने यहां उठाई वह न होती। लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। बच्चे को उल्टी, दस्त हो रहे थे।
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