देश के पूर्व राष्ट्रपति डा ए पी जे अब्दुल कलाम के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए उनकी जयंती पर एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन द्वारा शिक्षा मंत्रालय इनोवशेन सेल के तहत स्थापित इंस्टीटयूशनस इनोवेशन काउंसिल के सहयोग से 11 और 12 अक्टूबर को शोध एंव नवाचार पर परिचर्चा सत्रों का आयोजन किया गया।
जिसमें देश के प्रख्यात वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, अकादमिकों ने छात्रों को शोध एवं नवाचार के लिए प्रोत्साहित किया।कार्यक्रम का शुभांरभ के दौरान ‘‘ अनुसंधान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वित्त पोषण के अवसर’’ पर चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के साइंस एंड इंजिनियरिंग रिसर्च बोर्ड के वैज्ञानिक (जी) डा राजीव कुमार महाजन, विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के तकनीकी विकास बोर्ड के वैज्ञानिक (एफ) डा वी के राय, बायोतकनीकी विभाग के वैज्ञानिक (एच) डा संजय कुमार मिश्रा, डीआरडीओं के ईआर एंड आईपीआर के निदेशक डा शिव कुमार, विज्ञान और तकनीकी विभाग के वैज्ञानिक (एफ) श्री प्रवीन रॉय, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने विचार व्यक्त किये।
इस परिचर्चा सत्र की अध्यक्षता एमिटी फांउडेशन फॅार सांइस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन एलायंस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा नीरज शर्मा ने की।विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के साइंस एंड इंजिनियरिंग रिसर्च बोर्ड के वैज्ञानिक (जी) डा राजीव कुमार महाजन नें संबोधित करते हुए कहा कि साइंस एंड इंजिनियरिंग रिसर्च बोर्ड का दृष्टिकोण विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रासंगिक बनाते हुए प्रतिस्पर्धी और गुणवत्तापूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है। यह भारतीय विज्ञान और इंजिनियरिंग की गुणवत्ता को विकास के उच्चतम स्तर तक बढ़ाता है।बायोतकनीकी विभाग के वैज्ञानिक (एच) डा संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि एमिटी में अनुसंधान और नवाचार पर जोर दिया गया है भविष्य की महत्वपूर्ण सोच और समस्या का समाधान अनुसंधान में ही निहित है। पेटेंट को उत्पाद बन कर बाजार में पहुंचना चाहिए जिससे समाज को इसका लाभ मिल सके।एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि एमिटी सदैव अनुसंधान और नवाचार पर बहुत जोर देकर सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक और शोधकर्ता के निर्माण करनें में विश्वास रखती है। एमिटी के वैज्ञानिकों द्वारा डा कलाम से प्रेरणा लेकर समाज की समस्याओं का निवारण करने के लिए कार्य किया जा रहा है। आज के छात्र कल देश का नेतृत्च करेगें और राष्ट्र निर्माण में योगदान देगें जिससे विश्व में बड़े स्तर पर परिवर्तन आयेगा।एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि एमिटी की स्थापना के बाद से अनुसंधान और नवाचार पर मुख्य फोकस रहा है क्योकी किसी भी राष्ट्र का विकास केवल अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से ही संभव है। भारत को आत्मनिर्भर बनााने की दिशा में एमिटी छात्रों को शोध नवाचार के साथ स्वंय का उद्यम प्रारंभ करने के लिए प्रेरित कर रही है।इस परिचर्चा सत्र के ंअर्तगत द्वितीय सत्र में ‘‘ट्रांसडिसिप्लिनरी शोध और नवाचार के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताएं’’ पर सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में आईआईटी दिल्ली के ज्वांइट एडवांस टेक्नोलॉजी सेंटर के निदेशक डा एम एच रहमान, पेनस्टेट के हॉक इंस्टीटयूट के वरिष्ठ विजिटिंग स्कॉलर डा सिंदुरा गनपती, डीआरडीओ के सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी के वैज्ञानिक डा एम यू शर्मा, भारत सरकार के ऑफिस ऑफ द प्रिसिंपल साइंटफिक एडवाइजर की वैज्ञानिक डा केतकी बापट और एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने अपने विचार रखे। इस सत्र की अध्यक्षता एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने की।आईआईटी दिल्ली के ज्वांइट एडवांस टेक्नोलॉजी सेंटर के निदेशक डा एम एच रहमान ने कहा कि क्या हम भारत में तकनीकी फुटप्रिंट का निर्माण कर सकते है। सरकार तकनीक पर्यावरण के निर्माण में गति लाने का कार्य कर रही है। वर्तमान समय में भारत में ढेरो अवसर उपलब्ध है, आर्थिक सर्वेक्षण 2022 के अनुसार मध्यम वर्ग का विस्तार और बढ़ता सामर्थ्य, तकनीकी रूप से उन्नत उत्पाद के लिए मांग बढ़ा रहे है। भारत आईटी उत्पादों को सबसे बड़ा निर्यातक है और फार्मा उद्योग में तृतीय नंबर पर है। नीति सहयोग के अंर्तगत भारत ने स्न 2021 में पेटेंट नियमों में संसोधन करके शिक्षण संस्थानों के लिए फीस को 80 प्रतिशत कम कर दिया है। डा रहमान ने कहा कि इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्रों का बढ़ता निवेश नये आर एंड डी सेंटर का निर्माण कर रहा है। उन्होनें आईटी इंजिनियरिंग सेंगमेंट में नई तकनीकी के बारे में बताया।पेनस्टेट के हॉक इंस्टीटयूट के वरिष्ठ विजिटिंग स्कॉलर डा सिंदुरा गनपती ने छात्रों को संबोधित करते हुए अधिक संशय मे ंना पड़े जो कर रहे है उसमें बेहतरीन बनें। सदा अपने अनुभवों से सीखे। नवाचार सदैव दो विभिन्न अध्ययन क्षेत्रों के मध्य में जुड़ाव से ही उत्पन्न होता है। अपने समाधान के विचार का दायरे के बाहर सोचे और यही आपकों आशा प्रदान करेगा। डीआरडीओ के सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी के वैज्ञानिक डा एम यू शर्मा, ने कहा कि वर्तमान समय में नवाचार ही प्राथमिकता है। उन्होनें भारत मंें सेमिकंडक्टर के विकास के बारे में बताया कि जीवन में हर समय पर हम चिप से घिरे है। सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भौतिकी, रसायनिक, मैकेनिकल, पर्यावरणीय विज्ञान, इलेक्ट्रिॉनिक्स, मैटेरियल सांइस सभी का समावेश होता है। भारत सरकार के ऑफिस ऑफ द प्रिसिंपल साइंटफिक एडवाइजर की वैज्ञानिक डा केतकी बापट ने रूटैग टेक्नोलॉजी, आयुर्वेद में विज्ञान और राष्ट्रीय विविधता, नवाचार इकोसिस्टम के एप्लीकेशन और क्षमता के बारे में जानकारी दी।इस अवसर पर सत्र मं एमिटी विश्वविद्यालय के शिक्षकगण और छात्र उपस्थित थे।
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