देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए आधार कार्ड एक अहम डॉक्युमेंट बन गया है। सवाल यह है कि व्यक्ति की मौत के बाद उसके आधार कार्ड का क्या होता है। क्या इस कार्ड का मिसयूज भी होता है। क्या इसे बंद कर देना चाहिए।
आधार कार्ड को लेकर ऐसा कोई सवाल नहीं है जिसका जवाब सामने ना आया हो। अथॉरिटी की ओर से समय-समय पर इसपर होने वाले बदलावों के बारे में बताती रहती है। उसके बाद भी कुछ सवाल ऐसे आज भी बने हुए हैं जो सिर्फ आम लोगों के लिए नहीं बल्कि सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। वो ये कि किसी आदमी की मौत के बाद क्या वाकई उसके आधार का मिस्यूज हो रहा है। वहीं मौत के बाद उस आदमी के आधार कार्ड के क्या मायने हैं। वहीं मौत के बाद आदमी के आधार कार्ड को डिएक्टिवेट कर देना चाहिए।इसी सवाल के जवाब को तलाशने के लिए संसद में मामला सामने आया है। इस सवाल का जवाब संसद में खुद इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दिया है। वास्तव में सरकार अब डेथ सर्टिफिकेट को आधार कार्ड से कनेक्ट करने की योजना पर काम कर रही है। ताकि जानकारी रहे कि जिन लोगों की मौत हसे चुकी है तो उनके आधार कार्ड का मिस्यूज ना हो। आइए आपको भी इसके बारे में।
आधार कार्ड नहीं होता है बंद : इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि किसी भी आदमी मी मौत के बाद उसका आधार कार्ड बंद यानी डिएक्टिवेट नहीं होता है। इसका प्रावधान नहीं है। केंद्र राज्य मंत्री की ओर से कहा गया है कि मौजूदा समय में किसी मृतक व्यक्ति के आधार नंबर को कैंसिल करने की कोई व्यवस्था नहीं है। वैसे उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में संशोधन के ड्रॉफ्ट पर यूआईडीएआई से सुझाव मांगे थे। ताकि डेथ सर्टिफिकेट जारी करते समय मृतक का आधार लिया जा सके।
आधार को किया जाएगा डेथ सर्टिफिकेट से लिंक : देश में जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार जन्म -मृत्यु के आंकड़ों के कस्टोडियन हैं। आधार कार्ड को डिएक्टिवेट करने के लिए रजिस्ट्रार से मृतक लोगों का आधार नंबर लेने का अभी कोई मैकेनिज्म नहीं है। इन संस्थाओं के बीच आधार नंबर साझा करने का फ्रेमवर्क तैयार होने के बाद रजिस्ट्रार मृतक के आधार नंबर को निष्क्रिय करने के लिए यूआईडीएआई के साथ साझा करना शुरू कर देंगे। आधार को डीएक्टिवेट करने या फिर इसके डेथ सर्टिफिकेट से लिंक करने से आधार कार्ड धारक की मृत्यु के बाद इसका गलत इस्तेमाल नहीं हो पाएगा।
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