नई दिल्ली, भारत | भारतीय सेना ने देश की सीमाओं की तरह अब सड़कों पर हो रही अदृश्य लड़ाई – सड़क दुर्घटनाओं – के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। इस युद्ध में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले योद्धा हैं ‘हेलमेट मैन ऑफ इंडिया’ राघवेंद्र कुमार, जिन्हें सेना ने विशेष आमंत्रण देकर दिल्ली बुलाया है।
सेना के साथ मिशन की शुरुआत
पठानकोट से शुरू होकर अब यह अभियान दिल्ली तक पहुंच गया है। अगले 15 दिनों में हेलमेट मैन चंडीमंदिर, फिरोजपुर, अमृतसर, जालंधर, पटियाला, अंबाला, मेरठ और दिल्ली के आर्मी स्टेशनों में जाकर जवानों, उनके परिवारों और बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करेंगे। इस मुहिम में सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
सड़क सुरक्षा: एक अदृश्य युद्ध
राघवेंद्र कुमार ने 11 वर्ष पूर्व अपने मित्र की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद इस मिशन की शुरुआत की थी। तब से अब तक उन्होंने 22 राज्यों में 70,000+ लोगों को निःशुल्क हेलमेट वितरित किए, जिससे अनगिनत जिंदगियाँ बची हैं। उनका उद्देश्य है – भारत के हर नागरिक को अपना मित्र बनाकर सड़क पर रक्त के निशान मिटाना।
बच्चों से लेकर जवान तक जुड़े इस आंदोलन से
उनकी पहल पर भारत सरकार ने 4 वर्ष के बच्चों के लिए हेलमेट अनिवार्य करने का कानून पारित किया। आज सोशल मीडिया के माध्यम से यह आंदोलन देश के करोड़ों घरों तक पहुँच चुका है। माता-पिता अब अपने बच्चों को बचपन से ही हेलमेट पहनने की आदत सिखा रहे हैं।
हेलमेट बैंक: गांव-गांव की सुरक्षा की गारंटी
हेलमेट मैन द्वारा शुरू किए गए हेलमेट बैंक आज देश के कई स्कूलों, कॉलेजों और आर्मी कैंटोनमेंट में स्थापित हो चुके हैं। यह बैंक न सिर्फ उच्च गुणवत्ता वाले हेलमेट प्रदान करते हैं, बल्कि यातायात नियमों से जुड़ी जानकारी भी देते हैं। भविष्य में हर गांव में यह बैंक स्थापित करने का संकल्प लिया गया है, जहाँ रिटायर्ड सैनिक भी इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे।
भारत के विकास में सबसे बड़ा ब्रेकर: सड़क दुर्घटनाएं
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