ग्रेटर नोएडा: देश में उच्च शिक्षा की शीर्ष संस्था भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू), नई दिल्ली और उतर क्षेत्र के कुलपतियों की बैठक का आयोजन 10-11 नवंबर 2022 को किया जा रहा है, जिसकी मेजबानी गलगोटिया विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा द्वारा की जाएगी। दिल्ली के उपराज्यपाल, विनय कुमार सक्सेना 10 नवंबर 2022 को सुबह 10.00 बजे आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि होंगे। इस कार्यक्रम में पूर्व राज्यसभा सांसद और आईसीसीआर अध्यक्ष विनय पी0 सहस्रबुद्धे विशिष्ट अतिथि होंगे। बैठक की अध्यक्षता प्रो. सुरंजन दास, अध्यक्ष भारतीय विश्वविद्यालय संघ एवं कुलपति, जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता करेंगे।
गलगोटिया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो प्रीति बजाज कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत भाषण से करेंगी।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुनील गलगोटिया, ध्रुव गलगोटिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, गलगोटि या विश्वविद्यालय की गरिमामाई उपस्थिति रहेगी। डॉ. (श्रीमती) पंकज मित्तल, महासचिव, भारतीय विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली बैठक का संयोजन करेंगी। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में डॉ. एस रमा देवी पाणि द्वारा संपादित यूनिवर्सिटी न्यूज़ के विशेष अंक का विमोचन मुख्य अतिथि के द्वारा किया जायेगा। डॉ आलोक मिश्रा, संयुक्त सचिव एआईयू, डॉ. एस रमा देवी पाणि, संपादक, यूनिवर्सिटी न्यूज़ एआईयू, सत्यपाल, अफसर एआईयू,डॉ शिखा श्रीवास्तव, प्रोफेसर गलगोटिया विश्वविद्यालय, और विजेंद्र बैठक के नोडल अधिकारी हैं।
भारतीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, भारत सरकार के मंत्रालयों के अधिकारीगण, यूजीसी, एआईसीटीई, एनएएसी, आईसीएआर, आदि जैसे शीर्ष संस्थानों के अधिकारी और शिक्षा जगत के विशेषज्ञ बैठक में वक्ता और सत्र अध्यक्ष के रूप में शामिल होंगे। बैठक का आयोजन ब्लेंडेड मोड के माध्यम से होगा। हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित उत्तरी क्षेत्र के लगभग 60 कुलपति व्यक्तिगत रूप से बैठक में उपस्थित होंगे । इसके अलावा बैठक में उत्तर क्षेत्र के लगभग 100 कुलपति ऑनलाइन माध्यम से भाग लेंगे।बैठक का महत्व:भारतीय विशविद्यालय संघ प्रत्येक वर्ष पांच जोनल और एक नेशनल कुलपतियो की बैठक का आयोजन करता है ये बैठक उच्च शिक्षा से जुड़े जरूरी मुद्दों एवं विशविद्यालय के सामने आ रही विभिन समस्याओं पर चर्चा करने के लिए एक अहम मंच है। इस वर्ष राष्ट्रीय बैठक का विषय आत्मनिर्भर भारत के लिए परिवर्तनकारी उच्च शिक्षा’ एक उप-विषय है। बैठक में चर्चा मुख्य रूप से उच्च शिक्षा के प्रभावी अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीतियों पर होगी। इसके अलावा, इस बैठक में अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में उच्च शिक्षण संस्थानों की प्रगति पर भी चर्चा होगी। ज्ञान, सफलता की कहानियां, और अच्छी प्रथाओं को साझा किया जायेगा। उच्च शिक्षा संस्थान, सरकार और अन्य हितधारकों के लिए कार्रवाई बिंदुओं के संदर्भ में आगे के तरीकों का सुझाव देना है। सम्मेलन में तीनों आयामों यानी टीचिंग, रिसर्च और कम्युनिटी डेवलपमेंट के लिए होंगे। दो दिवसीय कार्यक्रम में विषय पर चर्चा करने के लिए निम्नलिखित तीन तकनीकी सत्र होंगे।
तकनीकी सत्र -1: छात्र एवं शिक्षकों के अंतरराष्ट्रीय संपर्क को बढ़ावा.
तकनीकी सत्र -2: अनुसंधान और शिक्षण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
तकनीकी सत्र -3: विदेशों में भारतीय उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना
अंतर्राष्ट्रीयकरण उच्च शिक्षा में एक अपरिहार्य घटक है। इसे अब अपने आप में एक लक्ष्य के रूप में नहीं बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साधन के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल विश्वविद्यालयों के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देता है बल्कि ज्ञान और अधिग्रहण, का आदान प्रदान वैश्विक अनुसंधान के समर्थन में प्रतिभा को जुटाने और अंतरराष्ट्रीय विषय वस्तु के साथ पाठ्यक्रम के संरक्षण करता है। यद्यपि अंतर्राष्ट्रीयकरण उच्च शिक्षा के लिए बहुत लाभदायक है, लेकिन इससे जुड़े बहुत गंभीर जोखिम भी हैं। जिनके बारे में सजग रहना अनिवार्य है। इस सन्दर्भ में उतर क्षेत्र कुलपति बैठक शिक्षाविदों, प्रबंधको, नीति निर्माताओं आदि के लिए निहितार्थ हैं।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ: एक परिचय
भारतीय विश्वविद्यालयों का संघ (एआईयू), 1925 में स्थापित देश के शीर्ष उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है। यह उच्च शिक्षा, खेल और संस्कृति के क्षेत्र में भारत सरकार के लिए एक शोध-आधारित नीति सलाह संस्थान है। शुरू से ही यह संस्था यह भारतीय उच्च शिक्षा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत सरकार ने भारतीय विश्वविद्यालय संघ को मान्यता प्राप्त विदेशी विश्विद्यालययो के उपाधियों को समकक्षता देना का विशेष अधिकार दिया है और डिग्रियों को समकक्षता देना भारतीय विश्विद्यालय संघ का महत्वपूर्ण कार्य है। भारतीय विश्वविद्यालय संघ को स्कूली शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से माध्यमिक / वरिष्ठ माध्यमिक परीक्षा के लिए भारतीय बोर्डों को समकक्षता प्रदान करने के लिए भी अधिकार दिया है।एक शीर्ष सलाहकार संस्था होने के नाते, यह देश में सभी प्रमुख निर्णय लेने वाली समितियों और आयोगों का एक अभिन्न अंग है। भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि निकाय के रूप में, यह भारतीय विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग और समन्वय की सुविधा प्रदान करता है और विश्वविद्यालयों और सरकारों और अन्य देशों में उच्च शिक्षा के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निकायों के बीच संपर्क स्थापित करता है। जबकि सभी भारतीय विश्वविद्यालय इसके योगदान से लाभान्वित होते हैं, वर्तमान में इसमें अन्य देशों के अलावा 14 अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों सहित लगभग 912 विश्वविद्यालयों की सदस्यता है। सहयोगी सदस्य के रूप में भूटान, संयुक्त अरब अमीरात, कजाकिस्तान, मॉरीशस, मलेशिया नेपाल आदि देश सहयोग प्रदान कर रहे हैं।भारतीय विश्वविद्यालय संघ दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालय संगठनो में से एक है जो अपनी शताब्दी वर्ष मनाने की ओर अग्रसर है। इस संस्थान में अन्तराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान् जैसे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, डॉ. जाकिर हुसैन, डॉ. केएल श्रीमाली और ए.एल. मुदलियार ने अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं।
More Stories
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी संकाय में “डिकोडिंग ट्रांसक्रिप्टोमिक्स” कार्यशाला का भव्य उद्घाटन।
शारदा विश्वविद्यालय की छात्रा ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में निशानेबाजी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
जीएनआईओटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस उत्तर-पूर्वी राज्यों के विद्यार्थियों के विकास के लिए निरंतर समर्पित : सीईओ स्वदेश कुमार सिंह।