ग्रेटर नोएडा। अब ग्रेटर नोएडा में सीवर लाइनों की सफाई और आसान हो गई है। साथ ही लाइनों से निकबने वाले मलबा सूखने के लिए मैनहोल के पास भी नहीं रखा जाएगा। उसे तत्काल उठा लिया जाएगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के निर्देश पर जल निगम ने दो डी-स्लटिंग मशीन खरीद ली है। इसमें कवर्ड बास्केट लगा हुआ है, जिसमें गीले मलबे का भरकर दूसरी जगह फेंका जा सकेगा।
बीते तीन वर्षों में ग्रेटर नोएडा में सीवर से जुड़ी शिकायतों को दूर करने पर बहुत तेजी से काम हुआ है। प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा में आबादी वाले अधिकांश एरिया को सीवर लाइनों से जोड़ दिया है। साथ ही सीवर व्यवस्था को बखूबी चलाने के लिए संसाधनों से भी खुद को लैस किया है। प्राधिकरण ने सीवर सिस्टम की जिम्मेदारी जल निगम व कुछ निजी काॅन्ट्रैक्टरों को दे रखी है। वे अपने-अपने एरिया में सीवर की सफाई व अन्य दिक्कतों को हल करते हैं। इसके लिए प्राधिकरण ने सुपर सकर व दो जेटिंग मशीन पहले ही खरीद ली है। प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण के निर्देश पर जल निगम ने दो डी-स्लटिंग मशीन और खरीद ली है। एक डी-स्लटिंग मशीन की कीमत करीब 15 लाख रुपये है। सोमवार से इस मशीन का उपयोग शुरू कर दिया है। एक डी-स्लटिंग मशीन पहले से ही थी। इन मशीनों से ही मैनहोल की सफाई होगी। मैनहोल की मैनुअल सफाई पर पहले से ही रोक है। साथ ही जहां पर भी मैनहोल की सफाई होगी, उसके मलबे को इसी मशीन में लगे बास्केट में भरकर तत्काल वहां से दूसरी जगह फेंक दिया जाएगा। उसे सूखने के लिए मैनहोल के पास नहीं छोड़ा जाएगा। रोड किनारे मलबा न पडे़ होने से लोगों को भी दिक्कत नहीं होगी। इससे ग्रेटर नोएडा भी और स्वच्छ होगा। यह मशीन गहरी नालियों की सफाई करने में भी सक्षम है। बता दें, कि सुपर सकर मशीन से बडे़ ब्लाॅकेज और जेटिंग मशीन का इस्तेमाल छोटे ब्लाॅकेज को खत्म करने में किया जाता है।
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